Sadhana Shahi

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दूध का कर्ज़ (कहानी) प्रतियोगिता हेतु-20-Jun-2024

दूध का कर्ज़ (कहानी) प्रतियोगिता हेतु

रामू कुपोषण का शिकार और कमज़ोर बच्चा था।उसकी मांँ माया कई घरों में झाड़ू-पोछा का काम करके भी अपने बच्चे का ठीक तरह से पेट नहीं भर पाती थी। क्योंकि कुपोषण की वज़ह से रामू अनेक बीमारियों से ग्रसित हो गया था।

उसकी मांँ ने अभी कुछ दिनों पहले ही मिताली जी के यहांँ नया काम पकड़ा था । मीताली जी रामू को देखते ही समझ गईँ कि यह कुपोषित बच्चा है। अतः वो प्रतिदिन दोपहर में उसे दो केला और एक गिलास दूध देने लगीं।

देखते ही देखते रामू स्वस्थ होकर विद्यालय जाने लगा वह पढ़ने में जितना ही अच्छा था उतना ही खेलकूद तथाअन्य गतिविधियों में भी। अतः वह सभी शिक्षक- शिक्षिकाओं का चहेता बन गया।

वह पढ़ने में इतना अच्छा था कि उसे विद्यालय से हमेशा स्कॉलरशिप मिलता था। जिसकी वज़ह से उसकी पढ़ाई में कोई भी व्यवधान नहीं उत्पन्न हुआ और वह दसवीं, बारहवीं दोनों टॉप करके अच्छे अंक से C.U.E.T निकालकर अच्छे सरकारी विद्यालय से बी.टेक. करके अच्छी कंपनी में इंजीनियर हो गया।

अब उसकी मांँ झाड़ू- पोछा का काम छोड़ चुकी थी किंतु मीताली जी का घर नहीं छोड़ी थी। एक दिन माया नीचे काम कर रही थी तभी मिताली जी ऊपर से गिरकर सीधा नीचे आ गईं। जिसकी वज़ह से उनकी कमर टूट गई। माया ने अपने बेटे को फ़ोन किया। बेटा तुरंत एंबुलेंस भेजा और मिताली जी को शहर के अच्छे अस्पताल में भर्ती कराया। मिताली जी बेहोश थीं माया के बेटे ने उनका शहर के नामी डॉक्टर से इलाज़ करवाया।उनके कमर का ऑपरेशन हुआ और ऑपरेशन सफ़ल हो गया। किंतु इन सब में बिल बहुत अधिक आ गया। माया के बेटे ने नर्स को यह बोल रखा था कि जो भी बिल आएगा वह मिताली जी को नहीं मुझे लाकर देना। मिताली जी जब होश में आईं तब उन्होंने माया से पूछा मैं यहांँ कैसे पहुंँची? और मेरा इलाज़ किसने कराया? तभी नर्स मिताली जी को बिल लाकर पकड़ा दी जिसे खोलने की हिम्मत उनमें नहीं हो रही थी।

बहुत हिम्मत करके जब उन्होंने बिल खोला तो उस पर लिखा थाऑल पेड।ये दो शब्द मिताली जी के मानस पटल में अनेकों प्रश्न खड़े कर दिए, आखिर कौन ?ऐसा किसने किया और क्यों किया?

मीताली जी माया से पूछीं रही यह सब किसने किया? लेकिन माया अनजान बनी रही अंतिम दिन जब उन्हें डिस्चार्ज होना था तब माया का बेटा आया और बड़े ही अदब से उन्हें प्रणाम करके एंबुलेंस में लेकर जाने लगा। मिताली जी ने उससे पूछा, तुम कौन हो बेटा? मेरे लिए यह सब क्यों कर रहे हो? तब माया के बेटे ने कहा आपका बेटा, जिसे आपने यदि बचपन में केला दूध न दिया होता तो आज मैं कहीं सड़कों पर भीख मांँग रहा होता। मैं उस दूध का कर्ज़ उतारने की एक छोटी सी कोशिश किया हूंँ किंतु, कभी भी उतार नहीं पाऊंँगा।

इस तरह मीताली जी,माया और उनका बेटा तीनों प्रसन्न हो ईश्वर को धन्यवाद दे रहे थे कि ईश्वर ने इन्हें एक दूसरे से परिचित कराया।

मित्रों! हम मंदिर में जाकर तमाम फ़ल चढ़ाते हैं और दूध बहा देते हैं किंतु हमारे आस- पड़ोस में एक बच्चा भूख से बिलख रहा होता है उसे न हम एक फल दे पाते हैं और ना ही 100 ग्राम दूध। जबकि उस दूध और फ़ल की आवश्यकता माया के बेटे जैसे बच्चों को है यदि हम ऐसे एक भी बच्चों की ज़िंदगी सँवार पाते हैं तो हमारा जीवन सफ़ल है अन्यथा यह सब एक थोथा प्रदर्शन के अलावा कुछ भी नहीं।

साधना शाही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

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